Tuesday, 12 November 2013

Poem by Dr. Kumar Vishwas

"भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठा तो हंगामा, 
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा, 
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का, 
मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हंगामा...!!!





Original Post : https://www.facebook.com/KumarVishwas

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