Sunday, 10 November 2013

Peele Panne पीले पन्ने - 20 (3)

मैं भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले
तन्हाई हूँ हर उस ख़त की, जो पढ़ा गया है बिन खोले ||

कुछ कहते हैं मैं सीखा हूँ, अपने जख्मो को खुद सीकर 
कुछ कहते हें में हँसता हूँ , भीतर भीतर आंसू पीकर
कुछ कहते हैं में हूँ विरोध से, उपजी एक खुद्दार विजय 
कुछ कहते हैं मैं रचता हूँ, खुद मैं मरकर खुद में जीकर 
लकिन मैं हर चतुराई की, सोची समझी नादानी हूँ
लव कुश ही पीर बिना गाई, सीता की राम कहानी हूँ...!!!





Original Post : https://www.facebook.com/KumarVishwas

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