Monday, 11 November 2013

Peele Panne पीले पन्ने - 21

मैं जिसे मुद्दत में कहता था, वो पल की बात थी 
आप को भी याद होगा आज कल की बात थी 

आप के आँसू से जाना पक्ष और प्रतिपक्ष मैं 
आप की मुस्कान तो बस एक दल की बात थी 

रोज़ मेला जोड़ते थे वो समस्या के लिए 
और उनकी जेब में ही बंद हल की बात थी

उस सभा में सभ्यता के नाम पर जो मौन था
बस, उसी के कथ्य में मौजूद तल की बात थी

मैं मरुस्थल था अगर तो सिर्फ दुनिया के लिए
आप की खातिर तो मेरे दिल में जल की बात थी

नीतियाँ झूठी हुईं और शास्त्र भी घबरा गए
झोंपड़ी के सामने जब भी महल की बात थी






Original Post : https://www.facebook.com/KumarVishwas

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